Thursday, December 29, 2016

ओघवती का धर्म

सम्मानित मित्रगण,
महाभारत की कहानी का 13वाँ भाग आपके समक्ष प्रस्तुत है।
इस भाग में पौराणिक कथा ‘‘ओघवती के धर्म’’ के माध्यम से यह कहने का प्रयास किया गया है कि गृहस्थ धर्म यह कहता है कि अतिथि की सेवा ही सबसे बड़ा धर्म है। आज हमारी संस्कृति के इस तत्त्व को हमने लगभग भुला दिया है। अतः पढ़ें और समझें कि हमारी संस्कृति का इस संबंध में क्या विचार है।
पढ़ने के लिये नीचे दिये लिंक को क्लिक करें।


http://pawanprawah.com/admin/photo/up1833.pdf

सादर 
सपन

Saturday, December 24, 2016

देवी इन्द्राणी की दुविधा

मित्रो,
महाभारत की कहानी का तेरहवाँ भाग आपके लिये प्रस्तुत है।
देवी इन्द्राणी या शची के जीवन में जब कठिनाई आती है, तो किस प्रकार वे उनका सामना करती हैं। यह कथा महाभारत के उद्योग पर्व का है। इसे पढ़ें और पढ़ कर अपनी प्रतिक्रिया दें।
इसे पढ़ने के लिये नीचे दिये लिंक को क्लिक करें।


http://pawanprawah.com/admin/photo/up1817.pdf
 
सादर नमन

Sunday, December 11, 2016

हिडिम्बा का प्यार

मित्रो,
महाभारत की कहानी का अगला भाग - ‘‘हिडिम्बा का प्यार’’। कुछ कहानियाँ बीच में नहीं आ सकीं, जिसका मुझे खेद है। इसे अवश्य पढ़ें और अपने विचार दें कि कैसी लगी? आपके सुझावों की प्रतीक्षा रहेगी।


इस कथा को पढ़ने के लिये नीचे दिये लिंक को क्लिक करें।


http://pawanprawah.com/admin/photo/up1785.pdf

सादर
आपका ‘सपन’