tag:blogger.com,1999:blog-1921102259398322199.post5781411209729316390..comments2024-01-24T15:03:21.888+05:30Comments on सर्वम् शिवम् (Sarvam Shivam): गंगा का विचित्र आचरण (कथा - 5)Vishwajeet Sapanhttp://www.blogger.com/profile/06068227450876963695noreply@blogger.comBlogger11125tag:blogger.com,1999:blog-1921102259398322199.post-63483333347258282952018-06-26T11:58:55.166+05:302018-06-26T11:58:55.166+05:30गंगा नदी की कहानी शेयर करने क लिए आपका बहुत - बहुत...<a href="https://www.newstrend.news/13291/ganga-nadi-ki-kahani/" title="गंगा नदी की कहानी" rel="nofollow">गंगा नदी की कहानी</a> शेयर करने क लिए आपका बहुत - बहुत धन्यवाद. आगरा आप विस्तार से गंगा नदी की कहानी पढ़ना चाहते है तो में आपके साथ एक वेबसाइट शेयर करने जा रहे हूँ i.e. www.newstrend.newsAhaana Guptahttps://www.blogger.com/profile/06337170581028693924noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1921102259398322199.post-84506943406341719092015-02-19T07:41:01.990+05:302015-02-19T07:41:01.990+05:30विक्रम ‘विशेष’ जी, सर्वप्रथम हृदय से आभार आपका इस ...विक्रम ‘विशेष’ जी, सर्वप्रथम हृदय से आभार आपका इस प्रस्तुति की सराहना के लिये। आपने सही कहा कि महाभारत की कथाओं के मूल स्वरूप से पृथक कथाओं को लोगों को बताया जाता है। ऐसा होने का एक कारण यह रहा कि कालान्तर में आश्चर्य के स्थल पर तर्क ने घर बनाया और कथाओं में तदनुसार परिवर्तन भी हुए, किन्तु मौलिकता को कभी भी चुनौती नहीं दी जा सकती। अतः मेरा प्रयास मौलिक कथाओं से लोगों का परिचय करवाना ही है। साथ ही यह भी कि लोग अपनी संस्कृति एवं सभ्यता में रुचि लें और जानें कि हमारा साहित्य कितना महान् है। अभी गीता को सरल कर लिख रहा हूँ और उसके बाद पुनः महाभारत की कहानियों पर आऊँगा। पुनः ब्लॉग में रुचि लेने के लिये एवं प्रतिक्रिया के लिये सादर आभार।<br />सादर नमनVishwajeet Sapanhttps://www.blogger.com/profile/06068227450876963695noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1921102259398322199.post-67562682496068939592015-02-17T11:59:42.586+05:302015-02-17T11:59:42.586+05:30विश्वजीत जी, मैंने महाभारत धारावाहिक को बड़े ध्यान...विश्वजीत जी, मैंने महाभारत धारावाहिक को बड़े ध्यान से देखा है और इस अद्भुत रचना को समझने का प्रयास किया है। लेकिन धारावाहिकों में महाभारत के प्रारंभ काल के कुछ पहलू अनछूए ही रह जाते हैं लेकिन इस आध्यात्मिक सफर को पूर्ण रूप से समझने के लिए प्रारंभिक तथ्यों का ज्ञान अतिआवश्यक है। आपका यह लेख मेरे लिए मददगार बना है। आपको साधुवाद<br />साभार <br />विक्रम 'विशेष'Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/05212631797656154811noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1921102259398322199.post-83826551650897241932013-05-21T20:00:52.895+05:302013-05-21T20:00:52.895+05:30परिमाज जी,
आपका बहुत-बहुत आभार। यही मेरा प्रयास है...परिमाज जी,<br />आपका बहुत-बहुत आभार। यही मेरा प्रयास है कि सहज एवं सरल भाषा में मौलिक कथाओं को समाज के समक्ष रखना ताकि यह उसी प्रकार प्रचलित हों, जिस प्रकार इनकी अन्य प्रतिकृतियाँ। भाषाई मार से रचना भारी-भरकम दिखती अवश्य है, किन्तु साहित्य में सहजता ही उसकी उन्नति का कारक है। एक बार पुन: आपका बहुत-बहुत आभार इस सुन्दर प्रतिक्रिया के लिए।<br />सादर नमन Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1921102259398322199.post-42550204169775834432013-05-21T17:30:33.012+05:302013-05-21T17:30:33.012+05:30सबसे बड़ी खूबी जो मुझे लगी वो है भाषा की सरलता और ...सबसे बड़ी खूबी जो मुझे लगी वो है भाषा की सरलता और उसका चयन । साधुवाद विश्वजीत जी इस अद्भुत लेखन के लिए । <br /><br />सादर आपका <br />परिमल परिमलhttps://www.blogger.com/profile/15164058551438032565noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1921102259398322199.post-77186522151184942982013-05-19T20:35:13.158+05:302013-05-19T20:35:13.158+05:30उदय जी,
बहुत-बहुत आभार आपका इस सम्मान के लिए। साहि...उदय जी,<br />बहुत-बहुत आभार आपका इस सम्मान के लिए। साहित्य की सेवा का प्रयास है और इस हेतु सीखने की और गलती सुधारने की कोई उम्र नहीं होती। कोई व्यक्ति पूर्ण नहीं होता और यदि वह पूर्ण हो गया तो ईश्वर हो जाएगा। इसलिए मेरा प्रयास यही है कि जहाँ तक संभव हो प्रत्येक विचार का सम्मान करना चाहिए और हर समय सीखने और सुधार को आसरा देना चाहिए। एक बार पुन: आपका हृदय से आभार।<br />सादर नमन Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1921102259398322199.post-72696947702454501882013-05-19T19:03:55.750+05:302013-05-19T19:03:55.750+05:30विश्वजीत जी ,
आज से पहले आपकी जैसी विनम्रता फल से ...विश्वजीत जी ,<br />आज से पहले आपकी जैसी विनम्रता फल से लदे वृक्ष में ही दिखी थी।एक और मेलुहा का मृत्युंजय आता दिख रहा है।<br />आपका <br />उदय Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/10259564317832352183noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1921102259398322199.post-15216739126222998032013-05-19T13:03:48.337+05:302013-05-19T13:03:48.337+05:30धन्यवाद उदय जी, दरअसल दफ्तर में पोस्ट किया था और द...धन्यवाद उदय जी, दरअसल दफ्तर में पोस्ट किया था और दुबारा नहीं देख पाया था। आपके इशारे के बाद देखा और जहाँ कहीं भी कुछ था उन्हें ठीक किया। इसलिए आपका बहुत-बहुत आभार जो आपने यह इशारा किया क्योंकि मैं निश्चय ही कुछ दिनों के बाद ही देख पाता और गलतियाँ रह जातीं। पुन: एक बार नमन आपको। इसी प्रकार मार्गदर्शन करते रहें। सादर वन्दे । Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1921102259398322199.post-19803379425985328362013-05-19T11:48:00.296+05:302013-05-19T11:48:00.296+05:30विश्वजीत जी ,
अब मुझे वर्तनी-दोष नहीं दिख रहा है।
...विश्वजीत जी ,<br />अब मुझे वर्तनी-दोष नहीं दिख रहा है।<br /><br />आपका <br />उदय Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/10259564317832352183noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1921102259398322199.post-72255784304777749072013-05-18T19:03:46.609+05:302013-05-18T19:03:46.609+05:30उदय जी, सर्वप्रथम तो आपका आभार कि आप ब्लॉग पर आये ...उदय जी, सर्वप्रथम तो आपका आभार कि आप ब्लॉग पर आये और आपने गहराई से इस कथा को पढ़ा। मुझे इस बात की भी ख़ुशी है कि आपने वर्तनी के दोष के बारे में बताया। सच कहूँ तो यह मेरे लिए सौभाग्य की बात है क्योंकि मात्र वाहवाही करने वालों से रचना कभी परिमार्जित नहीं होती और साहित्य का भला नहीं होता है। आप बिना झिझक बताएँ ताकि मैं उन्हें शुद्ध कर सकूँ। मैं हिंदी में टाइप करता हूँ और सॉफ्टवेयर से यूनिकोड में परिवर्तित करता हूँ, तब कुछ वर्तनी की अशुद्धियों की संभावना रहती है और मैं उन्हें ठीक भी करता हूँ, फिर भी कहीं-कहीं चूक हो जाने की संभावना है। आपके इस इशारे के बाद मैंने कुछ ठीक भी किया है और यदि आप बता दें तो उन्हें भी ठीक कर लूँगा। यदि संकोच हो तो मेरे ईमेल पर भी बता सकते हैं vishwajeetsapan@yahoo.com । एक बार पुन: आपका बहुत आभार। सादर नमन ।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1921102259398322199.post-17868446584541677652013-05-18T17:51:59.736+05:302013-05-18T17:51:59.736+05:30विश्वजीत जी ,अद्भुत रचना।महाभारत लिखना अपने आप में...विश्वजीत जी ,अद्भुत रचना।महाभारत लिखना अपने आप में एक साहसिक आध्यात्मिक लेखन यात्रा है।ऐसा प्रतीत होता है पठन के पश्चात् जैसे सब कुछ आँखों के सामने घटित हो रहा हो। धृष्टता के लिए क्षमा प्रार्थी एक दो जगह वर्तनी दोष दिखा।<br />आपका <br />उदय Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/10259564317832352183noreply@blogger.com