Thursday, December 29, 2016

ओघवती का धर्म

सम्मानित मित्रगण,
महाभारत की कहानी का 13वाँ भाग आपके समक्ष प्रस्तुत है।
इस भाग में पौराणिक कथा ‘‘ओघवती के धर्म’’ के माध्यम से यह कहने का प्रयास किया गया है कि गृहस्थ धर्म यह कहता है कि अतिथि की सेवा ही सबसे बड़ा धर्म है। आज हमारी संस्कृति के इस तत्त्व को हमने लगभग भुला दिया है। अतः पढ़ें और समझें कि हमारी संस्कृति का इस संबंध में क्या विचार है।
पढ़ने के लिये नीचे दिये लिंक को क्लिक करें।


http://pawanprawah.com/admin/photo/up1833.pdf

सादर 
सपन

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