सम्मानित मित्रो,
आप सभी ने सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’ के बारे में सुना होगा। उनकी यह सरस्वती वंदना आज आप सभी के लिये प्रस्तुत है। कवि ने माता सरस्वती से स्वतंत्रता प्राप्ति का अमृत मंत्र प्रदान करने प्रार्थना इसमें की है। यह छायावादी कविता है और इसका अर्थ वृहद है।
शान्ति एवं सुकून के लिये इस सुन्दर सरस्वती वंदना का आनंद लें।
सरस्वती वंदना - वर दे, वीणा वादिनी वर दे।
रचयिता - सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’
प्रस्तुति, संगीत एवं स्वर - विश्वजीत ‘सपन’
इसे सुनने के लिये इस लिंक पर क्लिक करें।
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