सम्मानित मित्रो,
आज एक ग़ज़ल मेरी ओर से आप सभी को समर्पित। सुन्दर-सुन्दर एहसास की ये ग़ज़ल अवश्य आपको रस में भिगो देगी। आप सभी का स्नेह बना रहे। इस मोहक ग़ज़ल का आनंद लें।
ग़ज़ल - फिर वही शाम अब दुबारा है
शायर - विश्वजीत ‘सपन’
प्रस्तुति, संगीत एवं स्वर - विश्वजीत ‘सपन’
इसे सुनने के लिये इस लिंक पर क्लिक करें।
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