सम्मानित मित्रगण,
महाभारत की कथाओं में उन्ननीवीं कड़ी के रूप में प्रस्तुत है ‘‘देवयानी का हठ’’ का पहला भाग। महाभारत के आदिपर्व में वैशम्पायन जी जनमेजय से देवताओं एवं असुरों के मध्य युद्धों एवं कच की संजीवनी विद्या को सीखने के बारे में बताया। इसी मध्य उन्होंने देवयानी एवं शमिष्ठा की कहानी भी बताई। देवयानी शुक्राचार्य की पुत्री थी और उसका झगड़ा असुरराज वृषपर्वा की पुत्री शर्मिष्ठा के साथ हुआ करता था। एक दिन अवसर पाकर किस प्रकार देवयानी ने बदला लिया, इस कथा में वर्णित है।
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विश्वजीत 'सपन'
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