महाभारत एक अद्भुत ग्रन्थ है और इसे पढ़ना एक अविस्मरणीय अनुभव। इस ग्रन्थ को जितना पढ़ा जाए, उतना ही लाभान्वित हुआ जा सकता है। हर बार नये अनुभवों एवं नये विचारों से परिचय होता जाता है। खेद का विषय है कि इस महान ग्रन्थ को इसकी जन्मभूमि भारत में उतनी लोकप्रियता नहीं मिल सकी, जीतनी कि मिलनी चाहिए थी। फिर जो मिली उसे भी मूल रूप से पृथक कर देखने के कारण मिली। यह एक ऐसा प्रामाणिक ग्रन्थ है, जिसके मूल रूप को अनदेखा नहीं किया जा सकता है। अत: आज आवश्यकता है इसके मौलिक स्वरूप को यथावत रखते हुए इसके प्रचार-प्रसार करने की।
इसी महती उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए मैंने इस पुस्तक के विभिन्न अंगों को लगभग यथावत ही पाठकों के समक्ष रखने का प्रयास किया है। इस ग्रन्थ से अनेक ग्रंथों कि सृष्टि कि गई और उनमें कई प्रकार के बदलाव भी किये गए। यहाँ तक कई विश्व प्रसिद्ध लेखक कालिदास की विश्व प्रसिद्ध कृति 'अभिज्ञान शाकुंतलम' भी इसी ग्रन्थ की एक कथा पर आधारित है। और इस कथा में भी कई स्थान पर बदलाव देखे जा सकते हैं। हो सकता हो कई ऐसे बदलाव आवश्यक हों अथवा यथासमय के लिए समीचीन हों अथवा अधिक उचित प्रतीत होते हों, किन्तु इसे मूल कहानी नहीं कहा जा सकता है। अत: इनके मूल स्वरूप को जानने और उसके संरक्ष्ण कई आवश्यकता है।
इस ग्रन्थ पर आधारित प्रचिलत पुस्तकों की भी कमी नहीं है, यथा पंचतंत्र', 'हितोपदेश' आदि। आज हम अन्य भाषाओं में अनेक प्रकार के ग्रंथों के अनुकरण के उदाहरण देखते हैं। उन पर टीका-टिप्पणी भी पढ़ते हैं। उन पर नये प्रकार की वैचारिक सोचों को उभरते भी देखते हैं, किन्तु उनके मूल को जानने से कतरा जाते हैं अथवा हमें ऐसा अवसर ही नहीं होता कि उन्हें जान पायें। ऐसे मैं किसी ऐसे ग्रन्थ की मौलिकता का विशेष महत्त्व हो जाता है। उसे संजोकर रखना हमारा कर्तव्य भी हो जाता है। अत: यह प्रयास इस ग्रन्थ की मौलिकता को यथावत रखते हुए उन्हें ससम्मान पाठकों के रसास्वादन के लिए उपस्थित करने के लिए किया गया है। कथा-कहानियों की सामान्य से लेकर विशेष प्रकारों के समावेश के साथ-साथ इसमें अनन्य प्रकार के विचारों, दर्शनों, सूक्तियों, नैतिकताओं आदि के साक्षात् दर्शन प्रत्येक स्थल पर किये जा सकते हैं। अत: ऐसी अद्भुत लेखनी को समाज के लिए उपलब्ध करना और उनकी श्रेष्ठ सीखों से परिचय करवाना ही इस लेखनी का पवित्र उद्देश्य है।
और हाँ, एक और बात. ये बहुत शीघ्र ही पुस्तकों के स्वरूप में पाठकों के सामने होंगीं। इसकी पहली कड़ी के रूप में एक पुस्तक "एक थी राजकुमारी" के नाम से प्रकाशनाधीन है, जिसमें इस ग्रन्थ के महिला पात्रों से सम्बंधित बीस कहानियाँ सम्मिलित हैं। उन्हीं कहानियों को एक कड़ी के रूप में यहाँ प्रस्तुत किया जा रहा है। आशा है की यह आप पाठकों को रुचिकर प्रतीत होंगीं।
नोट: ये कहानियाँ एक कड़ी के रूप में एक के बाद एक प्रकाशित की जायेंगीं. प्रति सप्ताह एक कहानी का मेरा प्रयास होगा.
विश्वजीत 'सपन'