Monday, August 21, 2017

महाभारत की लोककथा - भाग 21

‘‘क्षमादान ही महादान’’
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महाभारत की कथा की 46वीं कड़ी में प्रस्तुत यह लोककथा। 


एक बार शक्ति मुनि एवं कल्माषपाद के मध्य झगड़ा हो जाता है। राजा कल्माष्पाद ने क्रोध में आकर शक्ति मुनि को चाबुक दे मारा। मुनि ने उन्हें राक्षस बनने का शाप दे दिया। तब कल्माषपाद ने उन्हें ही खा लिया। मुनि के पुत्र पराशर ने उन्हें नष्ट करने का बीड़ा उठाया। उसके बाद क्या हुआ, यह जानने के लिये इस कथा को पढ़ें और देखें कि क्षमादान का महत्त्व हमारे शास्त्रों में कितना प्रबल है। 

 
इस मनभावन कथा को पढ़ने के लिये नीचे दिये लिंक को क्लिक करें अथवा चित्र में इस कथा को पढ़ें।


http://pawanprawah.com/admin/photo/up2389.pdf 

http://pawanprawah.com/paper.php?news=2389&page=10&date=14-08-2017 



विश्वजीत ‘सपन’

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