Saturday, November 18, 2017

महाभारत की लोककथा - भाग 34

‘‘अपराध का दण्ड आवश्यक है’’
=======================
 
महाभारत की कथा की 59वीं कड़ी में प्रस्तुत यह लोककथा। 


महाभारत से भी प्राचीन काल की बात है। शंख एवं लिखित नामक दो भाई थे। लिखित से चोरी का आपराध हो गया। शंख ने उसे राजा के पास जाकर दण्ड प्राप्त करने को कहा। राजा ने पहले दण्ड देने से मना कर दिया। लिखित के अनुरोध पर उसे बड़ा ही कठोर दण्ड दे दिया। उसके बाद लिखित बड़ा दुःखी हुआ। वह अपने भाई के पास गया। फिर उसके भाई ने क्या किया? यह विस्तार से पढ़ने के लिये नीचे दिये लिंक को क्लिक करें अथवा चित्र में इस कथा को पढ़ें।


http://pawanprawah.com/admin/photo/up2612.pdf

http://pawanprawah.com/paper.php?news=2612&page=10&date=13-11-2017


विश्वजीत ‘सपन’

Thursday, November 9, 2017

महाभारत की लोककथा - भाग 33

‘‘ब्रह्म तेज की महिमा’’
================
 
महाभारत की कथा की 58वीं कड़ी में प्रस्तुत यह लोककथा।


महाभारत से भी प्राचीन काल की बात है। विश्वामित्र एक प्रतापी राजा हुए। एक बार उन्होंने मुनि वशिष्ठ की गाय नन्दिनी को बलात् ले जाने का प्रयास किया, तो नन्दिनी ने ब्रह्म तेज के प्रताप से सेना की उत्पत्ति की और विश्वामित्र की पूरी सेना को खदेड़ दिया। विश्वामित्र को उस दिन लगा कि ब्रह्म तेज के समक्ष क्षत्रिय तेज का कोई मोल नहीं। इस कथा को विस्तार से पढ़ने के लिये नीचे दिये लिंक को क्लिक करें अथवा चित्र में इस कथा को पढ़ें।


http://pawanprawah.com/admin/photo/up2596.pdf

http://pawanprawah.com/paper.php?news=2596&page=10&date=06-11-2017


विश्वजीत ‘सपन’

Saturday, November 4, 2017

महाभारत की लोककथा - भाग 32

‘‘छत्र और उपानह की कथा’’
====================
 
महाभारत की कथा की 57वीं कड़ी में प्रस्तुत यह लोककथा। 


महाभारत से भी प्राचीन काल की बात है। तब तपती दोपहरी में कोई उपाय न था। जब ऋषि जमदग्नि की पत्नी रेणुका को इससे कष्ट हुआ, तो ऋषि ने सूर्य को ही समाप्त करने का निश्चय किया। इस प्रक्रिया में किस प्रकार छत्र और उपानह के प्रयोग को मान्यता मिली, इसे इस कथा के माध्यम से जाना जा सकता है। साथ ही भगवान् सूर्य ने इनकी महत्ता भी स्थापित की। इस कथा को विस्तार से पढ़ने के लिये नीचे दिये लिंक को क्लिक करें अथवा चित्र में इस कथा को पढ़ें।


http://pawanprawah.com/admin/photo/up2580.pdf

http://pawanprawah.com/paper.php?news=2580&page=10&date=30~10~2017



विश्वजीत ‘सपन’