Sunday, July 25, 2021

एक गीत जो दिल को छू ले।

 यह गीत नहीं एक कहानी है। इसे ध्यान से सुनें और इसका आनंद लें। लिंक नीचे है। 

https://youtu.be/9_8Jj36DdoQ


गीत के बोल, स्वर एवं संगीत - विश्वजीत 'सपन' 

Sunday, July 18, 2021

ले चल मुझे भुलावा देकर, मेरे नाविक धीरे धीरे

 सम्मानित मित्रो,

ले चल मुझे भुलावा देकर, मेरे नाविक धीरे धीरे - जय शंकर प्रसाद की लिखी एक सुन्दर और अर्थयुक्त कविता है अथवा यों कहें कि नवगीत है। जितना निकट से देखेंगे, यह रचना उतनी ही अधिक प्रभावित करती जाती है। इसके गायन में बहुत आनंद का अनुभव हुआ। आप सभी भी इसका आनंद लें।
नवगीत - ले चल मुझे भुलावा देकर, मेरे नाविक धीरे धीरे
गीत रचना - जय शंकर प्रसाद
प्रस्तुति, संगीत एवं स्वर - विश्वजीत ‘सपन’
पूर्ण आनंद लेने हेतु हेडफोन का प्रयोग करें, तो उत्तम।
विश्वजीत ‘सपन’ (11.07.2021)

Sunday, July 11, 2021

एक ग़ज़ल (चंद अश'आर)

(इस ग़ज़ल का आनंद लें। यदि सुनना है तो नीचे दिये लिंक को क्लिक करे।)

 
शराब पी ली है हमने बुरा किया क्या है
किसी ने पूछा नहीं तब भी के हुआ क्या है 

नहीं शराब जो पीते तो हम भी क्या करते
जुदा जिगर से हुआ यार अब बचा क्या है

जो दिल ही टूट न जाये क्षाराब पी लेना
हरेक आह पे हो जाम तो बुरा क्या है

सपन शराब तो पीने की चीज़ होती है
इसे भी छोड़ दें तो फिर कहो मज़ा क्या है  

(सपन 11.07.2021)



Sunday, July 4, 2021

सरस्वती वंदना - वर दे, वीणा वादिनी वर दे।

 सम्मानित मित्रो,

आप सभी ने सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’ के बारे में सुना होगा। उनकी यह सरस्वती वंदना आज आप सभी के लिये प्रस्तुत है। कवि ने माता सरस्वती से स्वतंत्रता प्राप्ति का अमृत मंत्र प्रदान करने प्रार्थना इसमें की है। यह छायावादी कविता है और इसका अर्थ वृहद है।  

शान्ति एवं सुकून के लिये इस सुन्दर सरस्वती वंदना का आनंद लें।  


सरस्वती वंदना - वर दे, वीणा वादिनी वर दे।      

रचयिता - सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’    

प्रस्तुति, संगीत एवं स्वर - विश्वजीत ‘सपन’


इसे सुनने के लिये इस लिंक पर क्लिक करें।

https://youtu.be/-UuQT35ioRY