Sunday, October 29, 2017

महाभारत की लोककथा - भाग 31

‘‘ब्राह्मणत्व की प्रप्ति’’
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महाभारत की कथा की 56वीं कड़ी में प्रस्तुत यह लोककथा। 


प्राचीन काल में जाति का आधार कर्म हुआ करता था। देवता, मुनि या अपने कर्म के अनुसार व्यक्ति की जाति का निर्धारण होता था। तब कभी वीतहव्य नामक एक राजा हुए, जो बड़े प्रतापी थे। जब उनके ऊपर संकट आया तो वे भागकर ऋषि भृगु की शरण में गये। ऋषि ने उन्हें अभयदान दिया और अपने शिष्यों में सम्मिलित कर लिया। इस प्रकार उन्हें ब्राह्मणत्व की प्राप्ति हुई। इस कथा को विस्तार से पढ़ने के लिये नीचे दिये लिंक को क्लिक करें अथवा चित्र में इस कथा को पढ़ें।


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विश्वजीत ‘सपन’

Friday, October 20, 2017

महाभारत की लोककथा - भाग 30

‘‘मुनि का संकल्प’’ 
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महाभारत की कथा की 55वीं कड़ी में प्रस्तुत यह लोककथा।


प्राचीन काल में मुनि गौतम के तीन पुत्रों में एकत और द्वित उतने प्रतिभावान नहीं थे। त्रित बड़े सफल रहे, अतः धन के लोभ में वे दोनों भाई त्रित से छुटकारा पाने का उपाय सोचने लगे। त्रित ने यज्ञादि करके अनेक पशुओं का धन-संचय कर लिया था। ये दोनों भाई चाहते थे कि वह सारा धन इन्हें मिल जाये। दैवयोग से एक दिन वन में उन्हें ऐसा अवसर भी मिल गया। तब वे घर आकर सुख-चैन से रहने लगे। उधर त्रित ने सोमरस के अपने संकल्प को पूरा करने का निर्णय लिया। उसके बाद क्या हुआ इसे जानने के लिये नीचे दिये लिंक को क्लिक करें अथवा चित्र में इस कथा को पढ़ें।


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विश्वजीत ‘सपन’

Friday, October 13, 2017

महाभारत की लोककथा - भाग 29

‘‘मुनि का मूल्य’’
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महाभारत की कथा की 54वीं कड़ी में प्रस्तुत यह लोककथा।


प्राचीन काल में च्यवन नामक मुनि ने जल में रहकर तप करने का निश्चय किया। एक दिन मल्लाहों ने उसी स्थल पर जाल फेंका जहाँ वे तप कर रहे थे। तब मछलियों आदि के साथ मुनि भी जाल में फँसकर बाहर आ गये। यह देख मल्लाह भयभीत हो गये। वे भागे-भागे अपने राजा के पास गये। उसके बाद क्या हुआ इसे जानने के लिये नीचे दिये लिंक को क्लिक करें अथवा चित्र में इस कथा को पढ़ें।


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विश्वजीत ‘सपन’

Wednesday, October 4, 2017

महाभारत की लोककथा - भाग 28

‘‘राजा की भूल’’ अंतिम भाग 
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महाभारत की कथा की 53वीं कड़ी में प्रस्तुत यह लोककथा। 


अभी तक आपने पढ़ा कि दूसरे ब्राह्मण ने पहले ब्राह्मण को उसकी गाय देने से मना कर दिया। वह पहला ब्राह्मण मात्र अपनी गाय को वापस लेने पर ही टिका हुआ था। राजा नृग के लिये बड़ी विकट परिस्थिति थी। उन्होंने किस प्रकार इसका समाधान निकाला और उसके बाद क्या हुआ इसे जानने के लिये नीचे दिये लिंक को क्लिक करें अथवा चित्र में इस कथा को पढ़ें।


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विश्वजीत ‘सपन’