Thursday, April 13, 2017

महाभारत की लोककथा - भाग 3

जननी जन्मभूमिश्च स्वार्गादपि गरीयसी

महाभारत की कथा का अट्ठाइवाँ भाग प्रस्तुत है। इसमें महाभारत की तीसरी लोककथा है - ‘‘जननी जन्मभूमिश्च स्वार्गादपि गरीयसी’’। 

यह कहानी एक तोते के कृतज्ञता की है। मरे हुए पेड़ से वह इतना प्रेम करता है कि भगवान् को आकर उसे जीवनदान देना पड़ता है। आज हममें इस कृतज्ञता की अत्यधिक कमी है। आइये पढ़ें और सीखें कि जीवन में जो हमारी रक्षा करते हैं, हमें उनका साथ कभी नहीं छोड़ना चाहिए।

नीचे दिये लिंक को क्लिक करें अथवा नीचे दिये फोटो में भी इसे पढ़ सकते हैं।


http://pawanprawah.com/admin/photo/up2101.pdf

http://pawanprawah.com/paper.php?news=2101&page=10&date=10-04-2017 



सादर
विश्वजीत ‘सपन’

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