‘‘मुनि का संकल्प’’
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महाभारत की कथा की 55वीं कड़ी में प्रस्तुत यह लोककथा।
प्राचीन काल में मुनि गौतम के तीन पुत्रों में एकत और द्वित उतने प्रतिभावान नहीं थे। त्रित बड़े सफल रहे, अतः धन के लोभ में वे दोनों भाई त्रित से छुटकारा पाने का उपाय सोचने लगे। त्रित ने यज्ञादि करके अनेक पशुओं का धन-संचय कर लिया था। ये दोनों भाई चाहते थे कि वह सारा धन इन्हें मिल जाये। दैवयोग से एक दिन वन में उन्हें ऐसा अवसर भी मिल गया। तब वे घर आकर सुख-चैन से रहने लगे। उधर त्रित ने सोमरस के अपने संकल्प को पूरा करने का निर्णय लिया। उसके बाद क्या हुआ इसे जानने के लिये नीचे दिये लिंक को क्लिक करें अथवा चित्र में इस कथा को पढ़ें।
http://pawanprawah.com/admin/photo/up2534.pdf
http://pawanprawah.com/paper.php?news=2534&page=10&date=16-10-2017
विश्वजीत ‘सपन’
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महाभारत की कथा की 55वीं कड़ी में प्रस्तुत यह लोककथा।
प्राचीन काल में मुनि गौतम के तीन पुत्रों में एकत और द्वित उतने प्रतिभावान नहीं थे। त्रित बड़े सफल रहे, अतः धन के लोभ में वे दोनों भाई त्रित से छुटकारा पाने का उपाय सोचने लगे। त्रित ने यज्ञादि करके अनेक पशुओं का धन-संचय कर लिया था। ये दोनों भाई चाहते थे कि वह सारा धन इन्हें मिल जाये। दैवयोग से एक दिन वन में उन्हें ऐसा अवसर भी मिल गया। तब वे घर आकर सुख-चैन से रहने लगे। उधर त्रित ने सोमरस के अपने संकल्प को पूरा करने का निर्णय लिया। उसके बाद क्या हुआ इसे जानने के लिये नीचे दिये लिंक को क्लिक करें अथवा चित्र में इस कथा को पढ़ें।
http://pawanprawah.com/admin/photo/up2534.pdf
http://pawanprawah.com/paper.php?news=2534&page=10&date=16-10-2017
विश्वजीत ‘सपन’
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