‘‘गंगावतरण की कथा’’ का प्रथम भाग
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महाभारत की कथा की 67वीं कड़ी में प्रस्तुत यह लोककथा।
महाभारत से भी प्राचीन काल की बात है। राजा सगर ने महादेव से पुत्र प्राप्ति का वर लिया। उन्हें एक रानी से एक पुत्र और दूसरी रानी से एक सहस्र पुत्र प्राप्त हुए। तब सगर ने अपनी शक्ति-प्रदर्शन के लिये अश्वमेध यज्ञ कर अश्व को पृथ्वी पर छोड़ दिया और सगरपुत्रों को उसकी रक्षा में लगा दिया। इसके बाद क्या-क्या होता है, इसे विस्तार से पढ़ने के लिये नीचे दिये लिंक को क्लिक करें अथवा चित्र में इस कथा को पढ़ें।
http://pawanprawah.com/admin/photo/up2744.pdf
http://pawanprawah.com/paper.php?news=2744&page=10&date=08-01-2018
विश्वजीत ‘सपन’
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महाभारत की कथा की 67वीं कड़ी में प्रस्तुत यह लोककथा।
महाभारत से भी प्राचीन काल की बात है। राजा सगर ने महादेव से पुत्र प्राप्ति का वर लिया। उन्हें एक रानी से एक पुत्र और दूसरी रानी से एक सहस्र पुत्र प्राप्त हुए। तब सगर ने अपनी शक्ति-प्रदर्शन के लिये अश्वमेध यज्ञ कर अश्व को पृथ्वी पर छोड़ दिया और सगरपुत्रों को उसकी रक्षा में लगा दिया। इसके बाद क्या-क्या होता है, इसे विस्तार से पढ़ने के लिये नीचे दिये लिंक को क्लिक करें अथवा चित्र में इस कथा को पढ़ें।
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विश्वजीत ‘सपन’
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