‘‘गंगावतरण की कथा’’ का अंतिम भाग
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महाभारत की कथा की 68वीं कड़ी में प्रस्तुत यह लोककथा।
अभी तक हमने पढ़ा कि राजा सगर ने अपनी शक्ति-प्रदर्शन के लिये अश्वमेध यज्ञ कर अश्व को पृथ्वी पर छोड़ दिया और सगरपुत्रों को उसकी रक्षा में लगा दिया। साठ सहस्र सगरपुत्रों को कपिल मुनि के तेज ने नष्ट कर दिया। उसके बाद राजा सगर एवं उनके वंशज क्या-क्या करते हैं और किस प्रकार सगरपुत्रों को मुक्ति मिलती है, यह इस आगे भाग में वर्णित है। इसे विस्तार से पढ़ने के लिये नीचे दिये लिंक को क्लिक करें अथवा चित्र में इस कथा को पढ़ें।
http://pawanprawah.com/admin/photo/up2760.pdf
http://pawanprawah.com/paper.php?news=2760&page=10&date=15-01-2018
विश्वजीत ‘सपन’
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महाभारत की कथा की 68वीं कड़ी में प्रस्तुत यह लोककथा।
अभी तक हमने पढ़ा कि राजा सगर ने अपनी शक्ति-प्रदर्शन के लिये अश्वमेध यज्ञ कर अश्व को पृथ्वी पर छोड़ दिया और सगरपुत्रों को उसकी रक्षा में लगा दिया। साठ सहस्र सगरपुत्रों को कपिल मुनि के तेज ने नष्ट कर दिया। उसके बाद राजा सगर एवं उनके वंशज क्या-क्या करते हैं और किस प्रकार सगरपुत्रों को मुक्ति मिलती है, यह इस आगे भाग में वर्णित है। इसे विस्तार से पढ़ने के लिये नीचे दिये लिंक को क्लिक करें अथवा चित्र में इस कथा को पढ़ें।
http://pawanprawah.com/admin/photo/up2760.pdf
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विश्वजीत ‘सपन’
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