‘‘महामत्स्य का उपाख्यान’’
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महाभारत की कथा की 72वीं कड़ी में प्रस्तुत यह लोककथा।
यह एक अनूठी कहानी है, जिसमें सृष्टि के प्रलय एवं पुनः सृजन की कथा कही गयी है। सूर्य के पुत्र वैवस्वत मनु को प्रजापति ने सृष्टि के पुनर्निर्माण के लिये चुना। उन्होंने मत्स्य बनकर उनकी शरण ली और अंततः अपने उद्देश्य को बताकर उसे पूरा करने का आदेश दिया। कथा बड़ी रोचक और मनभावन है। आप भी पढ़ें और आनन्द लें। इसे विस्तार से पढ़ने के लिये नीचे दिये लिंक को क्लिक करें अथवा चित्र में इस कथा को पढ़ें।
http://pawanprawah.com/admin/photo/up2824.pdf
http://pawanprawah.com/paper.php?news=2824&page=10&date=12-02-2018
विश्वजीत ‘सपन’
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महाभारत की कथा की 72वीं कड़ी में प्रस्तुत यह लोककथा।
यह एक अनूठी कहानी है, जिसमें सृष्टि के प्रलय एवं पुनः सृजन की कथा कही गयी है। सूर्य के पुत्र वैवस्वत मनु को प्रजापति ने सृष्टि के पुनर्निर्माण के लिये चुना। उन्होंने मत्स्य बनकर उनकी शरण ली और अंततः अपने उद्देश्य को बताकर उसे पूरा करने का आदेश दिया। कथा बड़ी रोचक और मनभावन है। आप भी पढ़ें और आनन्द लें। इसे विस्तार से पढ़ने के लिये नीचे दिये लिंक को क्लिक करें अथवा चित्र में इस कथा को पढ़ें।
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विश्वजीत ‘सपन’
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