‘‘अष्टावक्र का जन्म’’
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महाभारत की कथा की 73वीं कड़ी में प्रस्तुत यह लोककथा।
यह एक अनूठी कहानी है, जिसमें अष्टावक्र ने गर्भ से ही बोलना प्रारंभ कर दिया था। एक बार उसके पिता वेदाध्ययन कर रहे थे, तो कुछ अनुचित पाठ कर गये। उसे सुनकर गर्भ में पल रहे शिशु उन्हें टोक दिया। तब क्रोध में आकर उसके पिता ने उसे शाप दे दिया कि वह आठ अंगों से टेढ़ा होगा। उसके बाद क्या होता है, इसे विस्तार से पढ़ने के लिये नीचे दिये लिंक को क्लिक करें अथवा चित्र में इस कथा को पढ़ें।
http://pawanprawah.com/admin/photo/up2841.pdf
http://pawanprawah.com/paper.php?news=2841&page=10&date=19-02-2018
विश्वजीत ‘सपन’
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महाभारत की कथा की 73वीं कड़ी में प्रस्तुत यह लोककथा।
यह एक अनूठी कहानी है, जिसमें अष्टावक्र ने गर्भ से ही बोलना प्रारंभ कर दिया था। एक बार उसके पिता वेदाध्ययन कर रहे थे, तो कुछ अनुचित पाठ कर गये। उसे सुनकर गर्भ में पल रहे शिशु उन्हें टोक दिया। तब क्रोध में आकर उसके पिता ने उसे शाप दे दिया कि वह आठ अंगों से टेढ़ा होगा। उसके बाद क्या होता है, इसे विस्तार से पढ़ने के लिये नीचे दिये लिंक को क्लिक करें अथवा चित्र में इस कथा को पढ़ें।
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विश्वजीत ‘सपन’
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