Tuesday, August 1, 2017

महाभारत की लोककथा - भाग 18

‘‘मुनि उत्तंक की गुरु-भक्ति’’
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महाभारत की कथा की 43वीं कड़ी में प्रस्तुत एक लोककथा का द्वितीय एवं अंतिम भाग।


मुनि उत्तंक जब अपने गुरु गौतम से आज्ञा लेकर जाने लगे, तब उन्होंने गुरु दक्षिणा देने की बात की। गुरु ने गुरु दक्षिणा लेने से मना कर दिया। फिर वे गुरु-पत्नी के पास गये, तो उन्होंने भी गुरु दक्षिणा लेने से मना का दिया। तब उत्तंक ने उनसे प्रार्थना की कि वे अवश्य कुछ न कुछ लें। तब गुरु-पत्नी उनसे मणिमय कुण्डल लाने को कहा। वे अपने गंतव्य पर पहुँच गये, किन्तु क्या उनके लिये यह आसान होगा। इसे विस्तार में जानने के लिये यह कथा पढ़ें। 


इस मनभावन कथा को पढ़ने के लिये नीचे दिये लिंक को क्लिक करें अथवा चित्र में इस कथा को पढ़ें।


http://pawanprawah.com/admin/photo/up2341.pdf

http://pawanprawah.com/paper.php?news=2341&page=10&date=24-07-2017

 
विश्वजीत ‘सपन’

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