Sunday, August 13, 2017

महाभारत की लोककथा - भाग 20

‘‘धर्म का माहात्म्य’’ 
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महाभारत की कथा की 45वीं कड़ी में प्रस्तुत यह लोककथा। 


एक ब्राह्मण कुण्डधार की पूजा कर धन संपादित करने में असफल होने पर कुण्डधार से रुष्ट हो जाता है। उसे धन चाहिए था, किन्तु कुण्डधार ने उसके लिये धर्म को चुना। इससे वह ब्राह्मण बहुत दुःखी हो गया। जब कुण्डधार की कृपा से उसे दिव्य-दृष्टि मिली, तो उसने अनुभव किया कि कुण्डधार ने उसके लिये उचित किया था। ऐसा क्यों हुआ? इसे विस्तार में जानने के लिये यह कथा पढ़ें।

 
इस मनभावन कथा को पढ़ने के लिये नीचे दिये लिंक को क्लिक करें अथवा चित्र में इस कथा को पढ़ें।


http://pawanprawah.com/admin/photo/up2357.pdf

http://pawanprawah.com/paper.php?news=2357&page=10&date=31-07-2017

विश्वजीत ‘सपन’

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