Friday, December 15, 2017

महाभारत की लोककथा - भाग 37

‘‘परशुराम का गर्व’’ 
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महाभारत की कथा की 62वीं कड़ी में प्रस्तुत यह लोककथा।
 

महाभारत से भी प्राचीन काल की बात है। परशुराम को अपने पराक्रम पर बड़ा गर्व था। श्रीराम की प्रसिद्धि सुनकर वे उनकी परीक्षा लेने के उद्देश्य से उनके नगर गये और उनसे अपने धनुष को चढ़ाने को कहा। जब प्रभु श्रीराम ने सरलता से कार्य कर दिया, तब उन्होंने धनुष की डोरी को कान तक खींचने के लिये कहा। प्रभु श्रीराम समझ गये कि उनकी मंशा क्या थी। उसके बाद क्या हुआ इसे विस्तार से पढ़ने के लिये नीचे दिये लिंक को क्लिक करें अथवा चित्र में इस कथा को पढ़ें।

http://pawanprawah.com/admin/photo/up2660.pdf

http://pawanprawah.com/paper.php?news=2660&page=10&date=04-11-2017


विश्वजीत ‘सपन’

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