‘‘मोहिनी तिलोत्तमा’’
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महाभारत की कथा की 63वीं कड़ी में प्रस्तुत यह लोककथा।
महाभारत से भी प्राचीन काल की बात है। सुन्द एवं उपसुन्द ने किसी और के द्वारा नहीं मारे जाने का वर प्राप्त कर लिष्या था। उसके बाद वे मनमानी करने लगे। परेशान होकर सभी लोग देवताओं के पास गये। देवतालोग ब्रह्मा जी के पास गये, तो उन्होंने तिलोत्तमा के निर्माण का कार्य विश्वकर्मा जी को दिया। तिलोत्तमा ने सुन्द एवं उपसुन्द में अपनी मोहिनी सूरत से फूट डाल दी और उसके बाद क्या हुआ इसे विस्तार से पढ़ने के लिये नीचे दिये लिंक को क्लिक करें अथवा चित्र में इस कथा को पढ़ें।
http://pawanprawah.com/admin/photo/up2677.pdf
http://pawanprawah.com/paper.php?news=2677&page=10&date=11-12-2017
विश्वजीत ‘सपन’
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महाभारत की कथा की 63वीं कड़ी में प्रस्तुत यह लोककथा।
महाभारत से भी प्राचीन काल की बात है। सुन्द एवं उपसुन्द ने किसी और के द्वारा नहीं मारे जाने का वर प्राप्त कर लिष्या था। उसके बाद वे मनमानी करने लगे। परेशान होकर सभी लोग देवताओं के पास गये। देवतालोग ब्रह्मा जी के पास गये, तो उन्होंने तिलोत्तमा के निर्माण का कार्य विश्वकर्मा जी को दिया। तिलोत्तमा ने सुन्द एवं उपसुन्द में अपनी मोहिनी सूरत से फूट डाल दी और उसके बाद क्या हुआ इसे विस्तार से पढ़ने के लिये नीचे दिये लिंक को क्लिक करें अथवा चित्र में इस कथा को पढ़ें।
http://pawanprawah.com/admin/photo/up2677.pdf
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विश्वजीत ‘सपन’
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